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inscription Kedarnath Temple |
भारत में उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले और ऊखीमठ ब्लॉक में गढ़वाल हिमालय में स्थित प्राचीन मंदिर है। केदारनाथ मंदिर मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल चोराबाड़ी ग्लेशियर के पास 3,580 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भगवान शिव के इस प्राचीन मंदिर में उत्कृष्ट वास्तुकला है, यह बहुत बड़े समान आकार के भूरे पत्थर के स्लैब से बना है। मंदिर के गर्भगृह में शंक्वाकार चट्टान को सदाशिव रूप में भगवान शिव पूजे जाते हैं । केदारनाथ, भारत में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में 11 वां ज्योतर्लिंग है।
kedarnath temple |
यह क्षेत्र का ऐतिहासिक एवं पौराणिक नाम से केदार खंड के रूप में जाना जाता है। किंवदंतीयों के अनुसार, महाभारत में पांडवों द्वारा कौरवों को हराने और युद्ध भूमि सैकड़ों की संख्या में लोगों के मारने का प्राश्चित करने के लिए हिमालय का रुख किया और भगवान शिव से दोष मुक्ति के लिए आशीर्वाद मांगा। बार-बार भगवान शिव का पीछा करने पर भी पांडवो को दर्शन नहीं मिल पाए । भगवान शिव अपना रूप बदलते रहे, जब बैल के रूप में भगवान शिव को पांडवो ने पहचान लिए तो भगवान ने जमीन में डुबकी लगाई। भगवान शिव के शेष भाग चार अन्य स्थानों पर प्रकट हुए और उनके रूप में पूजा की जाती है।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने की घोषणा महाशिवरात्रि के अवसर पर हक हकूकधारी, वेदपाठी, मंदिर समिति के पदाधिकारीयों , तीर्थ पुरोहितों की मौजूदगी में पंचांग गणना के आधार पर तिथि की घोषणा की जाती है । भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग में से 11 वां ज्योर्तिलिंग केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए भैयादूज पर बंद कर दिये जाते हैं ।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने की तिथि और समय अक्षय तृतीय पर निर्भर करती है | महा शिवरात्रि के दिन उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर के पुजारी द्वारा उद्घाटन तिथि और समय घोषित किया जाता है |
सामान्यतः केदारनाथ मंदिर अक्षय तृतीय के शुभ मुहर्त पर खुलता है। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि भाई दूज ( दिवाली के बाद) की तय होती है | भाई दूज की सुबह केदारनाथ मंदिर की पूजा अर्चना के बाद मंदिर के कपाट बंद किये जाते है।
बाबा केदारनाथ की डोली उखीमठ के ओम्कारेश्वर मंदिर से केदार धाम के लिए रवाना होकर, इन स्थानों पर रात्रि विश्राम कराती है। गुप्तकाशी, फाटा, गौरीकुंड व रात्रि विश्राम के बाद केदारनाथ धाम पहुंचती है । और सुबह कपाट आम भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए जाते हैं ।
केदारनाथ में घुमने एवं दर्शन योग्य महत्वपूर्ण स्थानों की सूची निम्नलिखित है
गाँधी सरोवर या चोराबारी ताल
गांधी सरोवर या चोराबारी ताल केदारनाथ मंदिर से लगभग 3 किमी पीछे की तरफ है। 1948 में, महात्मा गांधी की थोड़ी राख को झील में विसर्जित कर दिया गया था जिससे इसका नाम गांधी सरोवर कर दिया गया। किंवदंती के अनुसार चोराबारी झील में भगवान शिव ने सप्तऋषियों को योग का ज्ञान दिया था। यह समुद्र तल से 3,900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील चोराबाड़ी बामक ग्लेशियर से निकलती है। इसको जाने वाले रास्ते में गिरने वाला मधु गंगा जलप्रपात की ध्वनि सुनाई देती है। यह आंतरिक शांति महसूस करने में मदद करता है।
भैरवनाथ मंदिर
भैरवनाथ मंदिर केदारनाथ से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है | कहा जाता है कि यह केदारनाथ धाम का रक्षक या द्वारपाल हैं, यात्रा के दौरान भैरवनाथ मंदिर के दर्शन भी जरुर करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ धाम के कपाट सर्दियों के लिए बंद कर दिए जाते है, तो भैरवनाथ केदारनाथ मंदिर परिसर के साथ-साथ पूरे केदारनाथ घाटी की रक्षा करते हैं।
शंकराचार्य समाधि
शंकराचार्य समाधि स्थल भक्तों के लिए एक सुखद और शांत स्थान है । मान्यता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने इसी स्थान पर समाधि ली थी।
2013 की आपदा में यह स्थल पूरी तरह से नष्ट हो गया था , प्रधान मंत्री मोदी की पहल के कारण अब यहाँ पर आदिगुरु शंकराचार्य की भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है।
रेतस कुंड
यह केदारनाथ मंदिर से लगभग 400 मीटर की दूरी पर स्थित एक छोटा सा कुंड है। इस छोटे से कुंड में रेत के बुलबुले निकलते रहते हैं, इसलिए इसे रेत कुंड के रूप में भी जाना जाता है |
गरुड़चट्टी
पंच केदार
पंच केदार ( पंच का अर्थ है पांच) भगवान शिव के रूप में जाना जाता है, ये मंदिर केदारनाथ, मधमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, कल्पनानाथ हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इन पांच स्थलों के निर्माण के पीछे कई मान्यताएं हैं।
जब पांडव भगवान शिव की खोज कर रहे थे, तो भगवान शिव ने पता लगाने से बचने के लिए खुद को एक बैल के रूप में बदल लिया। जब भीम ने बैल को पकड़ने की कोशिश की, तो वह गायब हो गया और पांच स्थानों पर शरीर के अंगों में फिर से प्रकट हो गया, जिसे वर्तमान में पंच केदार के नाम से जाना जाता है।
भगवान की भुजाएँ तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, पेट मदमहेश्वर में और उनके बाल कल्पेश्वर में प्रकट हुए। केदारनाथ और उपरोक्त चार मंदिर पंच केदार के नाम से जाने जाते हैं।
- केदारनाथ
- मधमहेश्वर
- तुंगनाथ
- रुद्रनाथ
- कल्पनानाथ
केदारनाथ यात्रा करने का सबसे अच्छा समय best time to visit kedarnath
केदारनाथ यात्रा करने का सबसे सही समय माह अगस्त का अन्तिम दिनों , सितम्बर और माह अक्टूबर रहता है। यह समय मौसम के हिसाब से काफी अनुकूल और बहुत ही सुहावना होता है , केदारनाथ की पहाड़ियों पर रंग विरेंगे फूल खिले रहते हैं। बुग्यालों में हरी हरी घास उग जाती है, साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या भी सिमित रहती है। अच्छे से दर्शन हो जाते हैं।
Who established 4 Dham? चार धाम का मूल
चार धाम की स्थापना लगभग 1200 साल पहले हुई थी. इसका श्रेय श्री आदि शंकराचार्य को जाता है। मूल चार धाम के निर्माण का श्रेय 8 वीं शताब्दी के महान सुधारक और दार्शनिक शंकराचार्य (आदि शंकर) को दिया जाता है।
'चार' का अर्थ है चार और 'धाम' का अर्थ धार्मिक स्थलों से है। चार धाम तीर्थयात्रा भारत के चार पवित्र तीर्थ स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा है। ये तीर्थ स्थल गढ़वाल हिमालय पर स्थित हैं ।
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